मौत के वक़त ओर मौत के बाद मोमीन का ऐज़ाज
पार्ट नंबर 1
हज़रत बाराअ बिन आज़िब रज़िया अल्लाहु ताआला अन्हु रिवायत फरमाते हें के (ऐक दिन )हम रसूल लुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ ऐक अंसारी के जनाज़े में कब्रिस्तान गए-जब कब्रिस्तान पहुंचे तो देखा के अभी ल्हद नहीं बनाई गई-इस वजह से नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम बैठ गये ओर हम भी आप के आस पास (बा अदब ) इस तरह बैठ गये के जैसे हमारे सरों पर परिंदे बैठे है यानि (इस तरह खामोश दम बख़ुद होकर बैठ गये जैसा के हम में हरकत ही नहीं रही -परिंदा गैर मुताहर्रिक चीज़ पर बैठता हें )
रसूल लुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के हाथ मुबारक में ऐक लकड़ी थी जिस से ज़मीन कुरैद रहे थे (जैसे कोई गमगीन किया करता हें) आपने सर मुबारक उठा कर फरमाया के क़बर के अज़ाब से पनाह मांगो ,दो या तीन मर्तबा यही फरमाया, फिर फरमाया के बिला शुबाह जब मोमिन बंदा दुनिया से जाने ओर आखिरत का रुख़ करने को होता है तो उस की तरफ आसमान से फरिश्ते आते है -जिन के सफ़ेद चेहरे सूरज की तरह रोशन जोते है ,,,
उनके साथ जन्नती कफन होता हे ओर जन्नत की ख़ुशबू होती है, ये फरिश्ते इस कदर होते है के जहां तक उसकी नज़र पहुंचे वहाँ तक बैठ जाते है -फिर हज़रत मलकुलमौत अलैहिस सलाम तशरीफ लाते है हत्ता के उसके सर के पास बैठ जाते हें ओर फरमाते है के ऐ पाकीज़ा रूह अल्लाह की मगफिरत ओर उसकी रज़ा मंदी की तरफ निकाल कर चल,चुनांचे उसकी रूह इस तरह सहूलत से निकल आती है जैसे मशकीजाह मे से( पानी का ) कतरा बेहता हुआ बाहर आजाता है पस उसे हज़रत मलकुलमौत अलैहिस सलाम ले लेते है उनके हाथ मे लेते ही दूसरे फरिश्ते (जो दूर तक बैठे रहते है )पल भर भी उनके हाथ मे नहीं छोड़ते -हत्ता के उसे लेकर उसी कफन ओर ख़ुशबू मे रख कर आसमान की तरफ चल देते है उस ख़ुशबू के मूता आल्लिक़ इरशाद फरमाया के ज़मीन पर जो भी उमदाह से उमदाह ख़ुशबू मुश्क़ की पायी गयी है उस जेसी वो ख़ुशबू होती है
कॉपी मरने के बाद क्या होगा Molana Muhammad Asif Umar Rathoura,
Dist. Baghpat ,Baraut Pin Code 250611
Madrasha Islamia Frqania Osika Baghpat
Email, Asifumar2121@gmail.com
पार्ट नंबर 2
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